भगवत गीता के कुछ श्लोक जो आपकी जिंदगी बदल देंगे।।
1-कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 47)
भाव अर्थ:- कर्म ही तुम्हारा अधिकार है, लेकिन कर्म के फलों में कभी नहीं... इसलिए कर्म को फल के लिए मत करो और न ही काम करने में तुम्हारी आसक्ति हो। (यह श्रीमद्भवद्गीता बहुत प्रेरणा देने वाला श्लोक हैं।
इसको अपनी जिंदगी मैं जरूर अपनाने की कोशिस करनी चाहिए।
2-क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 63)
भाव अर्थ:-क्रोध से मनुष्य की मति मारी जाती है यानी मूढ़ हो जाती है जिससे स्मृति भ्रमित हो जाती है। स्मृति-भ्रम हो जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद अपना ही का नाश कर बैठता है।
इसको जिंदगी मैं लाना मुश्कि तो हैं पर हमे कोशिस जरूर करनी चाहिए। क्योंके कोशिस करने वालों की हार कभी नही होती।।
3-यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥
भाव अर्थ:-श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण यानी जो-जो काम करते हैं, दूसरे मनुष्य भी वैसा ही आचरण, वैसा ही काम करते हैं। वह जो प्रमाण या उदाहरण प्रस्तुत करता है, समस्त मानव-समुदाय उसी का अनुसरण करने लग जाते हैं।
ये श्लोक उन सब के लिए हैं जो, एक मुख्या के रूप मैं काम कर रहे हैं। उन सब को एक बात ध्यान रखनी जरूरी हैं, की जो आप करोगे आपकी 👫👫👫 टीम भी वैसा ही करेगी।।
तो जैसा आप अपनी टीम को बनाना चाहते हँ, आपको उससे भी अच्छा करके दिखाना हैं।
4-सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:॥
(अठारहवां अध्याय, श्लोक 66)
भाव अर्थ:- (हे अर्जुन) सभी धर्मों को त्याग कर अर्थात हर आश्रय को त्याग कर केवल मेरी शरण में आओ, मैं ( भगवान श्रीकृष्ण) तुम्हें सभी पापों से मुक्ति दिला दूंगा, इसलिए शोक मत करो।
हम सब अपना जीवन जाती और धर्म की लडाई और अंध विश्वास मैं मिटा देते हैं। इलिये आपका जो कर्म हैं उसको अच्छे से ईमानदारी से करते रहे।
जो भी जिंदगी मैं हो रहा हँ उसके बारे मैं बार बार सोच कर और शोक करके अपनी जिंदगी खराब ना करें।
ये सभी बातें भगवान श्री कृष्ण 500 साल पहले बोल चुके हैं, और हम आज भी इन्हे अपनी जिंदगी इसके हिसाब से नही जी पा रहे हैं।
जय श्री कृष्णा।।
संजीव शर्मा।